चोटी की पकड़–37

कोई बड़ा मालगुजार है। किसी कारण पटरी न बैठी, लड़ गया। ताका जाने लगा। शाम को उसकी लड़की तालाब के लिए निकली। अँधेरे में पकड़कर खेत में ले जायी गई या दूसरे मददगार के खाली कमरे में कैद कर रखी गई।


 दूसरे-दूसरे आदमी दाढ़ी लगाकर या मूँछें मुड़वाकर चढ़ा दिए गए-ज्यादातर मुसलमानी चेहरे से। उन्होंने कुकर्म किया। उसके फोटो लिए गए। तीन-चार रोज बाद लड़की घर के पास छोड़ दी गई। एक फोटो आदमी के गाँव में, दूसरी थाने में डाक से भेजवा दी गई। नाम अंटशंट लिख दिए गए-चढ़नेवालों के; लड़की के बाप का सही नाम। 

गाँव और पुलिस की निग़ाह में दोनों गिर गए। गाँव का भी आदमी पुलिस का, उसके पास दूसरी तस्वीर, पुलिस के पास दूसरी। बाप से पूछा जाने लगा। उस पर घड़ों पानी पड़ा। गाँववालों ने खान-पान छोड़ दिया।

किसी प्रजा ने खिलाफ गवाही दी। उसका घर सीर के नक्शे में आ जाता है। कभी उसके खानदानवाले पास की जमीन बटाई में लिए हुए थे।

 गुमाश्ते को कुछ रुपए देकर एक हिस्सा दबाकर घर बना लिया था। इस फ़ेल का उलटा नतीजा हुआ। रात-ही-रात सैकड़ों आदमी लगा दिए गए। घर ढहा दिया। लकड़ी, बाँस, पैरा उठा ले गए। गोड़कर घर की जगह गड्ढा बना दिया। नक्शे में वह जगह सीर में है।

किसी ने लगान नहीं दिया। वह गरीब है। विश्वास दिलाकर बुलाया गया कि सरकार से अपना दुख रोए। आने पर अँधेरी कोठरी में ले जाया गया।

 वहाँ ऐसी मार पड़ी कि उसका दम निकल गया। लाश उठाकर पुराने तालाब के दलदल में गाड़ दी गई। गाँव के गुमाश्ते ने कबूल ही न किया कि वह गढ़ में ले जाया गया था। कुछ लोग ऐसे भी निकले जो पिटते समय उसको बाजार में उलटे कई कोस के फ़ासले पर देखा था।

बच-बचकर पुलिस से भी झपाटे चलते हैं। थानेदार ने इंस्पेक्टर और डी. एस. पी. आदि की मदद से प्रजा-जनों को किसी मामले में खिलाफ खड़ा किया, 

खूब दाँव-पेंच लड़े, राजा का पाया कमजोर पड़ा, समझौते की बातचीत हुई, रिश्वत की लंबी रकम माँगी गई, एक उचित ठहराव हुआ। काँटा निकाल फेंका गया। पर दिल की लगी खटकती रही। दूसरा मामला उठा। थानेदार फाँस दिए गए। बलात्कार साबित हुआ। एस. पी. और डी. एस. पी. की सिफ़ारिश बदनामी के डर से न पहुँच सकी। तहकीकात का अच्छा नतीजा न निकला। थानेदार को सज़ा हो गई। नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

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